Saturday, June 19, 2010

गर्मी की वर्षात

उमंग जो जगी दिल में वो कैसे बुझती | मै जीद कर बैठा उसके नूर से मिलने की ||
उदास जो मै था जेठ की गर्मी से |ललचाया उसी ने था अपनी मौजूदगी से ,
बदलो के सामियाने और उसपर हवा के थपेड़ो से ||
मैंने भी जीद कर ली उसकी शीतलता उसके वजूद में शमा जाने की |
उसमे भींगने की अपना सबकुछ लुटा जाने की ||

2 comments:

  1. nice start yaar.. i really liked it :)

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  2. ahaaaayeeeee....!!!!
    badi stud wali pic lagayi hai..!! goggles and all..!

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